हमीरपुर में नमामि गंगे योजना की पोल खुली, धनौरी में 15 दिन से जल संकट
हमीरपुर में नमामि गंगे योजना की पोल खुली, धनौरी में 15 दिन से जल संकट
हमीरपुर, उत्तर प्रदेश: जल जीवन मिशन और नमामि गंगे परियोजना के तहत गाँव-गाँव में पानी की टंकियाँ और पाइपलाइनें बिछाने का कार्य किया गया, ताकि हर घर को स्वच्छ जल उपलब्ध हो सके। लेकिन, हमीरपुर जनपद के कई गाँवों में इस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
धनौरी गाँव में 15 दिन से जल आपूर्ति ठप
हमीरपुर के धनौरी गाँव में हालात बेहद खराब हैं। यहाँ की पानी की टंकी और पाइपलाइन इतनी घटिया गुणवत्ता की बनाई गई हैं कि 15 दिनों से ग्रामीणों को पानी नहीं मिल पा रहा है। गाँव में जल संकट इस कदर गहरा गया है कि लोग हैंडपंप और कुओं से पानी लाने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि पाइपलाइन जगह-जगह से लीक हो रही है और टंकी में पर्याप्त दबाव नहीं बन पा रहा है, जिससे घरों तक पानी नहीं पहुँच रहा। यह समस्या तभी से बनी हुई है जब से यह टंकी और पाइपलाइन बनाई गई थी।
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी योजना
गाँव वालों का आरोप है कि इस योजना में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। अफसरों और ठेकेदारों ने घटिया सामग्री का उपयोग कर मोटी रकम हड़प ली। पानी की टंकी निर्माण में घटिया सीमेंट और रेत का उपयोग किया गया, जिससे यह समय से पहले ही कमजोर हो गई। पाइपलाइनें भी सस्ती और हल्की क्वालिटी की लगाई गईं, जिससे वे थोड़े समय में ही टूटने लगीं।
शिकायतों को किया गया अनदेखा
ग्रामीणों ने इस समस्या को लेकर कई बार अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। आखिरकार, उन्होंने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर भी अपनी शिकायत दर्ज करवाई। लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों ने भ्रामक रिपोर्ट लगाकर शिकायत को निस्तारित दिखा दिया, जबकि धरातल पर हालात जस के तस बने हुए हैं।
गाँव वालों में भारी आक्रोश, उच्चस्तरीय जाँच की माँग
धनौरी गाँव के लोगों में इस भ्रष्टाचार को लेकर जबरदस्त आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि इस योजना के कार्यों की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जाँच करवाई जाए, तो इसमें हुए घोटाले का खुलासा हो सकता है। गाँव वालों ने सरकार से माँग की है कि दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोका जा सके।
यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीणों का आक्रोश और बढ़ सकता है। लोगों का कहना है कि वे जल्द ही आंदोलन करेंगे और जरूरत पड़ी तो न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएँगे।