चंदेल शासकों के द्वारा निर्माण कराए गए कल्याण सागर के डूब वाले क्षेत्र में कर रहे हैं भूमाफिया कब्जा*
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*चंदेल शासकों के द्वारा निर्माण कराए गए कल्याण सागर के डूब वाले क्षेत्र में कर रहे हैं भूमाफिया कब्जा*
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*मदन सागर से कल्याण सागर तक पानी पहुंचाने वाली नहर को कई जगह से अवरुद्ध कर दिया है भू माफियाओं ने*
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*राजस्व अधिकारी और सिंचाई विभाग अधिकारियों की सांठगांठ से तालाबों की जमीनों को प्लाटिंग कर बेच रहे हैं भू माफिया*
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*बुंदेलखंड के महोबा जिले में चंदेल शासकों के द्वारा महोबा के चारों तरफ तालाबों का निर्माण कराया गया था, जिससे कि पेयजल की व्यवस्था के साथ साथ महोबा का सुंदरीकरण बना रहे ,पर बदलते दौर पर भू माफियाओं की गिद्ध नजर इन सभी तालाबों की जमीनों पर पड़ गई ,और यह भूमाफिया राजस्व अधिकारी और सिंचाई विभाग अधिकारियों से सांठगांठ कर इन तालाबों की जमीनों में काबिल होकर प्लाटिंग कर रहे हैं ,और अधिकांश तालाबों की जमीनों को बेच कर छोटा कर रहे हैं, यहां तक की मदन सागर से निकलने वाली नहर जो कल्याण सागर पर मिलती है ,उसको भी भू माफियाओं के द्वारा जगह जगह अवरुद्ध कर दिया गया है,और सिंचाई विभाग गहरी निंद्रा में सो रहा है, जिससे कल्याण सागर में पानी का जलभराव ना हो सके, और जमीन सूखी पड़ी रहे, जिससे भू माफिया आसानी से तालाब की जमीनों को निशाना बनाकर उनको बेच सकें , वही भू माफिया इतने चालाक किस्म के हैं की अब तालाबों की जमीनों और नहर की जमीनों को निशाना बना रहे हैं*
*गौरतलब हो कि चंदेल कालीन तालाब कल्याण सागर के डूब क्षेत्र में इन दिनों प्लाटिंग कर जमीनों को बेच रहे हैं, और तो और यह भू माफिया लोड़ी रोड पत्रकार तिराहा से चंद कदमों की दूरी पर डूडा पुल की नहर की पुलिया भी अवरुद्ध कर रहे है, जिससे कि मदन सागर का पानी कल्याण सागर तक पहुंच ना पाए, और भूमाफिया प्लाटिंग वाला खेल तालाब की जमीनों को बेचकर आसानी से खेल सके, वही इन दिनों एक नगर पालिका सभासद के द्वारा कल्याण सागर की जमीन को बेचा जा रहा है, और लोग तालाबों की जमीन पर निरंतर मकान बनाते चले जा रहे हैं ,अगर यही आलम रहा तो आने वाले समय में कल्याण सागर का मौजा सुकड़ कर महज चंद एकड़ ही रह जाएगा, जैसा कि शहर के बीचोबीच कभी मथुरन तलैया हुआ करती थी आज उस तालाब का नामोनिशान तक नहीं है , वही सिंचाई विभाग के अभिलेखों में धूल फांक रही है मथुरन तलैया क्योंकि सिंचाई विभाग की कार्यप्रणाली इतनी लचीली है की जिले के तमाम तालाबों की नहर को भू माफिया जड़ समेत खा गए, और सिंचाई विभाग के अभिलेखों में आज भी यह पानी किसानों को दे रहे है*
*अगर यही आलम बना रहा तो आने वाले समय में चंदेल कालीन शासकों के तालाबों का केवल सिंचाई विभाग के अभिलेखों और इतिहास पर नाम होगा धरातल पर यह तालाब नहीं दिखेंगे*
*वही देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले समय में तालाबों की जमीनों को बेचने वाले और तालाबों की जमीनों में कब्जा करने वालों के ऊपर जिला प्रशासन का हंटर चलता है या नहीं*
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निष्पक्ष पत्रकार-
बिहारी लाल गाडगे
99 35 28 6626*