कलम सुरा और सरकार -ताटंक छंद

🥀ताटंक छंद🥀
विषय –
कलम सुरा और सरकार
1-
कलम पापियों के हाथों में,
सिसक सिसक कर रोती है।
नारी की इज्जत से खेले,
स्वाभिमान निज खोती है।।
नारी नैनन नीर नहाती,
रो-रो धरनी धोती है।
कलम कैमरा दुष्ट हाथ में,
हँसी विश्व में होती है।।
2-
वीर भूमि का मान घटाते,
लाज नहीं दिखलाती है।
मौन बने बैठे राजा जी,
पाप नदी उफनाती है।।
राजा की मेधा गायब है,
खुली सुरा बिकवाती है।
पी पी के मिटती है जनता,
घुट घुट जान गमाती है।।
3-
जुआ खेल भी देखो जारी,
आँखे इनकीं अंधी हैं।
बेवश को ऐ तंग किए हैं,
आदत इनकी गंदी हैं।।
चलती रोजी अपराधों से,
उतराते ज्यों कंडी हैं।
प्रभुपग धूली नीर बहाते,
नव युवकों की वंदी हैं।।
💥🌼💥🌼💥💥🌼
🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश
1-
निष्पक्ष पत्रकार आदरणीय विहारी लाल गाडगे जी की न्यूज़ निकली सत्य -पत्रकारों पर लगे गंभीर आरोप -शिकायत दर्ज https://networktimes.in/3132/
2-
मानव सेवा संस्थान समाज मे फैलीं वुराइयों को मिटाने के तत्पर-महोबा में हो रहे जुआ की तस्वीरें प्रमुखता से कीं प्रकाशित-जुआ बना सिर दर्द https://networktimes.in/3148/
3-

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