फार्मर रजिस्ट्री के चक्कर में किसान परेशान: सरकार की नीतियों पर सवाल

फार्मर रजिस्ट्री के चक्कर में किसान परेशान: सरकार की नीतियों पर सवाल

देशभर में किसानों की समस्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। नई “फार्मर रजिस्ट्री” योजना, जिसे किसानों को लाभ देने के उद्देश्य से लागू किया गया था, अब उनके लिए परेशानी का सबब बन गई है। इस योजना के तहत किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए अपने डेटा को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत करना जरूरी है। लेकिन यह प्रक्रिया इतनी जटिल और अव्यवस्थित है कि किसान इसे पूरा करने में असमर्थ हैं।

जमीनी हकीकत

गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की भारी कमी है, जिससे किसान रजिस्ट्री के लिए ऑनलाइन आवेदन करने में असमर्थ हैं। जो किसान किसी तरह आवेदन करते भी हैं, वे बार-बार तकनीकी खामियों और सर्वर डाउन की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके अलावा, फार्मर रजिस्ट्री के लिए मांगे गए दस्तावेजों की लंबी सूची ने किसानों का काम और मुश्किल बना दिया है।

कृषि विभाग की लापरवाही

ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को सहायता देने के लिए न तो पर्याप्त हेल्पडेस्क बनाए गए हैं और न ही उन्हें सही जानकारी दी जा रही है। कई जगहों पर कृषि अधिकारी किसानों की समस्याओं को सुनने के बजाय उन्हें टालने की कोशिश करते नजर आते हैं।

किसानों का आक्रोश

किसानों का कहना है कि सरकार ने यह योजना किसानों की भलाई के नाम पर शुरू की थी, लेकिन अब यह उनके लिए एक नई परेशानी बन गई है। एक किसान ने कहा, “हम खेती करें या सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाएं? यह योजना किसानों की मदद के लिए है या उन्हें परेशान करने के लिए?”

सरकार की नाकामी

सरकार ने बिना जमीनी हकीकत को समझे योजना लागू कर दी, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। क्या सरकार को यह समझ में नहीं आता कि हर किसान के पास स्मार्टफोन, इंटरनेट, या डिजिटल साक्षरता नहीं होती? अगर सरकार सचमुच किसानों की मदद करना चाहती है, तो उसे पहले उनकी बुनियादी समस्याओं को हल करना चाहिए।

मांगें और सुझाव

किसान संगठनों ने सरकार से मांग की है कि फार्मर रजिस्ट्री प्रक्रिया को सरल और किसान-हितैषी बनाया जाए। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता अभियान चलाए जाएं और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ऑफलाइन भी उपलब्ध कराई जाए।

निष्कर्ष

फार्मर रजिस्ट्री जैसी योजनाएं तभी सफल हो सकती हैं जब वे किसानों के लिए सरल और सुलभ हों। सरकार को चाहिए कि वह अपनी नीतियों और कार्यशैली पर पुनर्विचार करे और किसानों को इस तरह की अनावश्यक प्रक्रियाओं से राहत दिलाए। यदि सरकार ने समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया, तो किसानों का गुस्सा सड़कों पर उतर सकता है।

 

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