यूं तो हम सागर हैं पर मन से खारे नहीं
बिषय:-यूं तो हम सागर हैं पर मन से खारे नहीं।
यूं तो हम सबके बहुत दुलारे है पर किसी को प्यारे नहीं।
हमारी जुबान तीखी है पर दिल से उदार हैं बेईमान नहीं।
ईश्वर ने हमें बहुत सुंदर बनाया है पर क्या करें दूसरों को हम सुहाते नहीं।
हममें खुद्दारी बहुत है पर मतलबी नहीं।
हमेशा सकारात्मक सोच रखी पर कभी शोहरत मिली नहीं।
मां बाप ने संस्कार तो अच्छे दिये पर किस्मत ने साथ दिया नहीं।
यूं तो लंबा जीवन बीत गया पर कामयाबी की पहचान कभी मिली नहीं।
यूं तो सागर है हम मन से खारे नहीं।
सर्वाधिकार सुरक्षित स्वरचित कविता तृप्ता श्रीवास्तव। भोपाल।🙏🙏