मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर भ्रष्टाचार का साया: बिना समाधान के शिकायतों को ‘निस्तारित’ दिखाने का खेल

मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर भ्रष्टाचार का साया: बिना समाधान के शिकायतों को ‘निस्तारित’ दिखाने का खेल

हमीरपुर, 19 जनवरी 2025: मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल, जो नागरिकों की समस्याओं के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है, उस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं। धनौरी गांव के निवासी लक्ष्मीकांत सोनी द्वारा की गई शिकायत (शिकायत संख्या: 40016825000665) के मामले में अनियमितताओं का खुलासा हुआ है।

शिकायत का विवरण:

लक्ष्मीकांत सोनी ने 19 जनवरी 2025 को जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज की थी कि उनके गांव में पिछले सात दिनों से जलापूर्ति ठप है। उन्होंने इस समस्या को लेकर प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन बिना किसी मौके का मुआयना किए, शिकायतकर्ता से संपर्क किए बगैर, और बिना समस्या का समाधान किए, इस शिकायत को “निस्तारित” दिखा दिया गया।

क्या है मामला?

धनौरी गांव के लोग सात दिनों से पानी की भारी किल्लत झेल रहे।
शिकायतकर्ता लक्ष्मीकांत सोनी ने बताया कि उन्होंने जनसुनवाई पोर्टल पर जल विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि शिकायत को “निस्तारित” दिखा दिया गया, जबकि अब तक कोई अधिकारी मौके पर निरीक्षण करने नहीं पहुंचा।

जनता का गुस्सा:

गांववासियों ने प्रशासन की इस लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ तीव्र आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जनसुनवाई पोर्टल केवल दिखावे का माध्यम बनकर रह गया है, जहां शिकायतों को बिना समाधान के ही “निस्तारित” कर दिया जाता है।

प्रमुख सवाल:

1. क्या बिना जांच और निरीक्षण के शिकायत को निस्तारित दिखाना उचित है?

2. क्या जनसुनवाई पोर्टल आम जनता की समस्याओं के समाधान के लिए है, या सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी के लिए?

3. अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सरकार क्या कदम उठाएगी?

 

प्रशासन पर उठते सवाल:

धनौरी गांव के इस मामले ने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब पोर्टल पर की गई शिकायतों का यह हाल है, तो अन्य माध्यमों से न्याय की उम्मीद करना बेमानी है।

ग्रामीणों की मांग:

मौके पर निरीक्षण कर समस्या का समाधान किया जाए।

शिकायत को निस्तारित दिखाने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।

जलापूर्ति को तत्काल बहाल किया जाए।

घोर निंदा:

यह घटना न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आम जनता की समस्याओं को कितनी बेरुखी से नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकार और संबंधित विभाग को इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए, अन्यथा ग्रामीणों को आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

(रिपोर्ट: धनौरी, हमीरपुर)

 

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