आरटीआई कार्यकर्ता आ.जयनारायण वर्मा ने मीडिया कर्मियों की जानकारी के लिए भेजा आवेदन
आरटीआई कार्यकर्ता आ.जयनारायण वर्मा ने मीडिया कर्मियों की जानकारी के लिए भेजा आवेदन
हमीरपुर/महोबा/जनपद हमीरपुर के अमूँद गाँव निवासी आरटीआई कार्यकर्ता जयनारायण वर्मा ने पारदर्शिता और सूचना के अधिकार के तहत एक अहम कदम उठाया है। उन्होंने जिला सूचना अधिकारी महोबा और हमीरपुर से संबंधित जिलों में कार्यरत विभिन्न प्रकार के मीडिया कर्मियों की जानकारी प्राप्त करने के लिए आरटीआई आवेदन भेजा है।
आवेदन का उद्देश्य
जयनारायण वर्मा का उद्देश्य यह जानना है कि जिलों में कार्यरत पत्रकारों, रिपोर्टरों, छायाकारों, और अन्य मीडिया कर्मियों की क्या स्थिति है — कौन-कौन से पत्रकारों को अधिकृत मान्यता प्राप्त है, किन्हें सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार हेतु जिम्मेदारी सौंपी गई है, और कितने मीडिया कर्मियों को सरकारी विज्ञापन या अन्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
मुख्य बिंदु:
1. मीडिया कर्मियों की सूची: आवेदन के जरिए यह जानकारी मांगी गई है कि दोनों जिलों में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के तहत कितने पत्रकार पंजीकृत हैं।
2. मान्यता प्राप्त पत्रकार: आवेदन में यह भी सवाल उठाया गया है कि कितने पत्रकारों को मान्यता प्राप्त है और किस प्रक्रिया के तहत उन्हें यह मान्यता दी गई है।
3. सरकारी सहायता एवं विज्ञापन: जयनारायण वर्मा ने यह जानकारी भी मांगी है कि किन-किन पत्रकारों या मीडिया संस्थानों को सरकारी विज्ञापन जारी किए गए हैं और किस आधार पर यह चयन किया गया।
4. पारदर्शिता की मांग: वर्मा का कहना है कि सूचना का अधिकार आम नागरिकों का हक है, और मीडिया से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और फर्जी पत्रकारिता पर अंकुश लगाया जा सके।
समाज में चर्चा का विषय
इस मामले को लेकर स्थानीय स्तर पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। कई लोगों ने वर्मा के इस कदम की सराहना की है जयनारायण वर्मा का स्पष्ट कहना है कि उनका मकसद किसी विशेष व्यक्ति या संस्था को निशाना बनाना नहीं, बल्कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब देखना यह होगा कि जिला सूचना अधिकारी महोबा और हमीरपुर इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और कब तक मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। यदि समय पर सूचना नहीं दी गई, तो वर्मा आगे की कार्रवाई करने के लिए भी तैयार हैं।
यह प्रकरण न केवल पत्रकारिता जगत बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी अहम सवाल खड़ा कर रहा है। जयनारायण वर्मा के इस प्रयास से यह साफ है कि सूचना का अधिकार आम नागरिकों के लिए एक मजबूत हथियार है, जिसे सही दिशा में उपयोग करके व्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है।