हे महात्मा हे बुद्ध एक बार फिर आजाओ हमारे कुछ प्रश्नों के समाधान दे जाओ

हे महात्मा हे बुद्ध एक बार फिर आजाओ
हमारे कुछ प्रश्नों के समाधान दे जाओ….
क्यों सहारा लिया तुमने रात का
आखिर डर था तुम्हे किस बात का
क्या रोक लेगी यशोधरा….जाने नहीं देगी तुम्हें
या खुद ही बहक जाते स्त्री जाल में…या बांध लेता पुत्र मोह…बताओ महात्मा बताओ बुद्ध
लगता है तुम्ही कमजोर पड़ जाते… नारी तो कभी निर्बल नहीं थी .. मन से तो बिल्कुल भी नहीं
भेजती थी रक्त तिलक के साथ अपने पति को करने युद्ध…
बताओ महात्मा बताओ बुद्ध
कर्म से विमुख हों पति पुत्र भाई
ऐसी कभी नहीं दी स्त्री ने दुहाई..
गौने में ही तिलक कर अपने पति को रण में पहुंचाया..
पथ विमुख ना हों उसके मोह में… काट के सर थाल में भिजवाया
प्रणाम कर रहे थे सब कर बद्ध…
बताओ महात्मा बताओ बुद्ध
आपके जाने का दुख यशोधरा को भी ना हुआ होगा
पर..आपने भरोसा नहीं किया इस ग्लानि ने सताया होगा…
कैसे समझाया होगा …जब राहुल ने की होगी तुम्हारी ज़िद
बताओ महात्मा बताओ बुद्ध

आरती दीवदी

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