






एक रंग है लाल लहू का, मजहब कितने सारे
माँ शारदे को नमन*
दिनांक 11/03/2021
दिन – गुरुवार
विषय – *मालिक*
एक रंग है लाल लहू का,
मजहब कितने सारे ।
मालिक सब का एक, हमने ही,
किए हैं ये बटवारे ।।
मेरा-तेरा अपना-पराया
इस दुनिया में सीखा ।
हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
सब है एक सरीखा ।।
जब भी खुदा की बातें होती,
ऊपर ही करें इशारे ।।
मालिक सबका एक, हमने ही
किए हैं ये बटवारें ।।
*राजकुमार छापड़िया*
मुंबई, महाराष्ट्र