शिखरिणी छंद

शिखरिणी छंद
17 वर्ण
मापनी-122 222,
111 112 211 12
पिंगल सूत्र-(य म न स भ ल ग)
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1-
सुनो मेरी माता,
तुम उर सदा आकर रहो।
तुम्हीं से है नाता,
सुख जल नदी शीतल बहो।।
पड़े तेरे द्वारे,
अब दुख सभी आकर हरो।
बनें बेटा हीरा,
कर सिर सदा आकर धरो।।
2-
कृपा हो तेरी मॉं,
सुखमय सदा जीवन रहे।
बड़ी है माँ आशा,
अब मत निराशा मन रहे।।
तुम्हीं हो माँ काली,
शिव तन खड़ी हो पग धरे।
तुम्हीं हो माँ गंगा,
तन मन सदा पावन करे।।
3-
तुम्हीं हो श्री सीता,
रघुवर तुम्हीं मोहित किए।
तुम्हीं हो माँ गीता,
सज्जन हमेशा कर लिए।
तुम्हीं हो माँ वाणी,
पद रज हमें पावन मिले।
तुम्हीं से संसारी,
उपवन तुम्हीं से गुल खिले।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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