नारी इकदिन बने अजूबा, मानो सच्ची ऐ वानी। होगी वो इकलौती मूरत, सुंदर सपनों की रानी।।
गीत
(16-14)
सागर है ममता का अंदर,
भीगीं भीगीं आँखें हैं।
माँ का दिल है सबसे सुंदर,
आसमान सीं आँखे हैं।।
जीवन में कठिनाई सह के,
पालन माँ ही करती है।
खाती है माँ बासी रोटी,
लालन का मन भरती है।।
सात सिन्धु से बढ़के माता,
स्वर्ग लोक सीं आँखें हैं।
सागर है ममता—-
अब दिल में गहरा सदमा है,
दिल मेरा बेचैन लगे।
नारी का अनुपात घटे जग,
कैसे सिर पर मौर सजे।।
लीला माँ की जग से न्यारी,
बंद किए क्यों आँखें हैं।
सागर है ममता—-
नारी इकदिन बने अजूबा,
मानो सच्ची ऐ वानी।
होगी वो इकलौती मूरत,
सुंदर सपनों की रानी।।
देखें नारी फिर सपनों में,
झरनों सीं ऐ आँखें हैं।
सागर है ममता—-
प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश