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स्वांस-मन-चेतना,प्राण-तन-आत्मा

गीत/विवेक दीक्षित *स्वांस-मन-चेतना,प्राण-तन-आत्मा!* *सब तुम्हारे लिए,बस तुम्हारे लिए!* *यज्ञ-तप-साधना, पुण्य-फल-कामना,* *सब तुम्हारे लिए, बस तुम्हारे लिए!* मैंने जिसको गढ़ा था,

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