प्रीति में होकर दिवानी, बूँद में कुछ यूँ ढली है।
प्रीति में होकर दिवानी, बूँद में कुछ यूँ ढली है। चूमने शतदल अधर को, झूमकर बरखा चली है। केश अपने
Read moreप्रीति में होकर दिवानी, बूँद में कुछ यूँ ढली है। चूमने शतदल अधर को, झूमकर बरखा चली है। केश अपने
Read more*भारतीय साहित्य संस्कृति का काव्य संवाद यात्रा कार्यक्रम संपन्न, जीना नहीं जिंदा रहना है-सुधीर* *************************** साहित्यिक सामाजिक संस्था ‘भारतीय साहित्य
Read moreदिनांक – ०२/०८/२०२१ विधा – – कविता शीर्षक- “प्रथम रश्मि” ***** उठो! सवेरा तुम्हें बुलाता, दुस्वप्नों की रात गयी। प्रथम
Read more“सावन बहका” लो जी सावन बहका है, बूंदों पर मस्ती है ,मनवा भी उसका है। बरसा सावन है, ऋतु मनभावन
Read moreजीतने के लिए ************ पिता पुत्र को जीवन के ढंग बताता है, संघर्ष करते हुए हौसले के गुण सिखाता है।
Read moreआधार छंद- वाचिक स्रग्विणी पर आधारित बह्र मापनी- 212 212 212 212 ———————————— ज्ञान के दीप की रोशनी चाहिए। शब्द
Read moreमानव मूल्य ********** बहुत अफसोस होता है मानव मूल्यों का क्षरण लगातार हो रहा । मानव अपना मूल्य स्वयं खोता
Read moreआज युद्ध की आहूती में बारी मेघनाद की आई थी मारूँगा या मर जाऊँगा सौगंध पिता की खाई थी हाहाकार
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