गिरिधारी छंद
गिरिधारी छंद ——————————– विधान~ [ सगण नगण यगण सगण ] ( 112 111 122 112) 12 वर्ण,4 चरण दो-दो चरण
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Read moreगंगोदक सवैया (ऽ।ऽ रगण×8) ——————————— सृजन शब्द-ज्ञान गंगा ——————————— 212 212 212 212, 212 212 212 212 ——————————— 1- ज्ञान
Read moreदोहा छंद आधारित मुक्तक ———————————— सन 1987 से आज तक सुगिरा श्री जुगल किशोर जु मूर्ति चोरी काण्ड में निष्क्रियता
Read moreजोगीरा ——————————– अपनी-अपनी ढपली बजती, अपना-अपना राग। अब मत सोते रहना सज्जन, अबतो जाओ जाग।। जोगीरा सारा रा रा रा—–
Read moreभाव माधुरी ______[ मुंडमाल उर में धरे, उमानाथ भगवान | चंद्रमौलि का जाप है, नाथ वही गुणवान || वास करें
Read moreमनहरण घनाछरी छंद। 8,8,8,7 पदांत-212 सृजन शब्द-शिवरात्रि निराकार निर्विकार, शीश इंदु गंगा धार, बोलो भोले जयकार, कृपा तो दिखाइए। अर्ध्नारीश्वर
Read moreपाँच सोरठा ——————– सृजन शब्द-शब्द ———————— 1- शब्द-शब्द का सार, आप लोग भी जानिए। छन्द-छन्द का तार, राग मध्य में
Read moreप्रीत पदावली —- 28/02/2022 —— मेरे पिया —– मोहे पिया मिले अनुरागी । सोते गुजर रहा था जीवन , अब
Read moreप्रीत पदावली —- 27/02/2022 —— बोलियाँ —– जलतरंग सी लगे बोलियाँ । आह्लादन करती दिव्य क्रियाएँ , सहेलियों की मति
Read moreरामा हे रामा हे मेरे रामा कलयुग में एकबार आओ न रामा। त्रेता में जैसे तुम आये रामा कलयुग में
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