कुंडलिया (सिंहावलोकन)
कुंडलिया (सिंहावलोकन) ————————- सावन वर्षे प्रेम का, नाचे मन का मोर। मोर नाचता देख के, करती कोयल शोर।। करती कोयल
Read moreकुंडलिया (सिंहावलोकन) ————————- सावन वर्षे प्रेम का, नाचे मन का मोर। मोर नाचता देख के, करती कोयल शोर।। करती कोयल
Read moreडमरू घनाक्षरी —————————————————– विधान-32 वर्णों के चार समतुकांत चरण, 16, 16 पर यति अनिवार्य, 8, 8, 8, 8 पर यति
Read more*महाभुजंगप्रयात सबैया* 122-122-122-122, 122-122-122-122 🌺🌺🌺🌺🌺🌺 चलें आज कान्हा सहारे तुम्हारे , बनी हूॅं पुजारी सुनो श्याम मेरे। सदा श्याम श्यामा
Read moreबह्र ——————————- 221 2121 1, 221 212 ——————————- तरु पे लगे मधुर फल, कटु शूल पा रहे।। गुजरे हुए मधुर
Read moreउल्लाला छंद (विषम चरणी) ——————————- तुम लगन लगालो राम से। प्यारा जिनका धाम है।। तुम लगन लगा लो श्याम से।
Read moreचौपाई छंद 🌸🌸🌸🌸🌸🌸 कान्हा तू घट-घट का वासी। तेरे दर्शन की अभिलाषी।। तुम विन कान्हा कोन उबारे। भव सागर में
Read moreलावणी छंदाधारित गीत ——————————- बनकर झाड़ू मात तुम्हारी, करूँ साफ कचड़ा भारी। रहकर माँ के कर कमलों में, हरूँ आज
Read moreराधारमण छंद ——————————– विधान~ [नगण नगण मगण सगण] (111 111 222 112) 12 वर्ण,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत] ——————————– 1-
Read moreप्रदीप छंदाधारित श्री गणेश जी की वंदना —————————— धूम्र केतु का पूजन करलो, प्रथम पूज्य गजराज हैं। भाल चन्द्र को
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