हे प्रभु, तुम यूंं मूक, मौन, शान्त, तृप्त, संतुष्ट, आनंदित व उन्मादित मगर क्यों?

हे प्रभु, तुम यूंं मूक, मौन, शान्त, तृप्त, संतुष्ट, आनंदित व उन्मादित मगर क्यों? जबकि मेरा हृदय द्रवित, पल्लवित, झंझावित,

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