चोरी-चोरी चुपके-चुपके, माधव अन्तर्ध्यान है

*चोरी-चोरी चुपके-चुपके, माधव अन्तर्ध्यान है।…* *नटखट कान्हा वसन चुराकर,छेड़े मुरली तान है।…* जल क्रीड़ा आनंद उठाती, नित्य गोपियाँ वृन्द है।

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