छंद – दिगपाल /मृदुगति
छंद –
दिगपाल /मृदुगति
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मापनी –
(221 2122,
221 2122)
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1-
प्रभु आपकी कृपा से,
यह सृष्टि चल रही है।
प्रभु आपकी दया से,
सुख की नदी बही है।।
तुम शोक मुक्त करते,
यदि बात ये सही है।
प्रभु शोक मुक्त करदो,
बिचलित हुई मही है।।
2-
सुनकर विनय हमारी,
अवतार लीजिएगा।
दुख से भरी नदी को,
तत्काल पीजिएगा।।
करके कृपा कन्हैया,
सुख-चैन दीजिएगा।
सुनकर करुण कहानी,
उपकार कीजिएगा।।
3-
मीरा तुम्हें पुकारे,
सुखधाम आइएगा।
सीता बिलख रही है,
मत छोड़ जाइएगा।।
शबरी डगर निहारे,
मृदु बेर खाइएगा।
अब लाज द्रोपदी की,
माधव बचाइएगा।।
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प्रभुपग धूल