पनवाड़ी विकास क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बुडेरा में प्राचीन जाति धाम हनुमान मंदिर पर पूर्व पूर्वजों आशीर्वाद एवं चौकी धाम सरकार आशीर्वाद से श्री हनुमान मंदिर श्री शिव शिव मंदिर एवं श्री राम दरबार मंदिर का निर्माण चंद्रशेखर कौशिक अधिशासी अभियंता एवं डॉ उमाशंकर कौशिक के द्वारा कराया गया
पनवाड़ी महोबा पनवाड़ी विकास क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बुडेरा में प्राचीन जाति धाम हनुमान मंदिर पर पूर्व पूर्वजों आशीर्वाद एवं चौकी धाम सरकार आशीर्वाद से श्री हनुमान मंदिर श्री शिव शिव मंदिर एवं श्री राम दरबार मंदिर का निर्माण चंद्रशेखर कौशिक अधिशासी अभियंता एवं डॉ उमाशंकर कौशिक के द्वारा कराया गया जिसमें सभी देवों की प्राण प्रतिष्ठा 26 मई को विद्वानों के द्वारा विधि विधान से होनी है वही श्री 1008 श्रीराम महायज्ञ श्री राम कथा संपन्न हो रही है श्रीरामचरितमानस अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पूज्य साध्वी मानस समीक्षा जी के द्वारा मुनि विश्वामित्र जी के अयोध्या आगमन की कथा विस्तार से भक्तों को रसपान कराई गई बताया कि प्रातः काल उठ कर के रघुनाथा जी अपने माता पिता एवं गुरु नावे माथा एक बार राजा दशरथ जी के द्वार पर विश्वामित्र जी पहुंचे राजा ने अतिथि देवो भव से आदर सत्कार किया और आने का कारण पूछा विश्वामित्र जी ने कहा कि हमें राक्षस यज्ञ नहीं करने दे रहे हैं यज्ञ की रक्षा करने के लिए राम और लक्ष्मण को हमारे साथ भेज दो राजा दशरथ जी ने राम और लक्ष्मण जी को विश्वामित्र जी के साथ भेज दिया उन्होंने बन में जाकर के मुनि विश्वामित्र जी को परेशान करने वाले राक्षसों का संहार किया कुछ समय पश्चात मिथिला के राजा जनक के यहां से सीता स्वयंवर का निमंत्रण आया निमंत्रण में विश्वामित्र जी एवं उनके साथ राम और लक्ष्मण जी गए राजा जनक जी ने आदर सत्कार किया सुबह गुरु जी को पूजा के लिए फूल लेने के लिए उत्सव वाटिका गए वहां पर सीता जी से भेंट हो गई इसके बाद सीता स्वयंवर हुआ सीता स्वयंवर में राजा जनक ने कहा कि जो भी राजा शिव धनुष को उठाएगा उसी के साथ हम अपनी पुत्री सीता का विवाह करेंगे देश देश के राजा आए हुए थे सभी ने धनुष उठाने का प्रयास किया लेकिन किसी ने धनुष को उठा नहीं पाया यह देखकर राजा जनक को बड़ा दुख हुआ और उन्होंने भरी सभा में कह दिया की यह पृथ्वी क्षत्रियों से विहीन हो गई है यह बात सुनकर के लक्ष्मण जी को क्रोध आ गया उन्होंने कहा इस सभा में रघुवंशी राजा श्री राम की आज्ञा हो तो मैं धनुष तो क्या ब्रह्मांड को भी उठा सकता हूं मुनि विश्वामित्र जी ने लक्ष्मण जी को शांत किया और शुभ समय देख कर के श्री राम जी को कहा कि उठो राम धनुष को उठाओ और राजा जनक जी के दुख को दूर करो गुरुदेव की आज्ञा मानकर राम जी ने गुरु जी को प्रणाम किया और धनुष को जैसे ही उठाया धनुष टूट गया धनुष टूटते ही सीता जी ने श्री राम जी के गले में जयमाला डाल दी सीता राम जी का विवाह संपन्न हुआ आकर्षक झांकियां सजाई गई झांकियों का सभी ने स्वागत किया पुष्प मालाओं से वर्षा की और राम सीता विवाह का आनंद लिया वही कथा समाप्ति के बाद श्री राम कथा के मुख्य यजमान चंद्रशेखर कौशिक अधिशासी अभियंता पत्नी शशि प्रभा कौशिक एवं सह डॉ उमाशंकर कौशिक पत्नी कमलेश कौशिक ने परिवार सहित श्री राम कथा की आरती की एवं सभी की मंगल कामना के लिए पूजनीय अमृतानंदमई साध्वी मानस समीक्षा जी प्रयागराज से आशीर्वाद प्राप्त किया वही कानपुर से आई हुई आदर्श रामलीला मंडल कमेटी के द्वारा मंदिर परिसर में भव्य पंडाल की नीचे धनुष यज्ञ की लीला का प्रसारण किया गया जिसमें हजारों की संख्या में आसपास क्षेत्र के ग्रामीण महिलाओं एवं पुरुषों ने रामलीला मंचन का आनंद लिया है
जितेंद्र तिवारी की रिपोर्ट