इटावा शहर के 90% दलाल पत्रकारों जवाब दो ?? अपनी आगे आने वाली पीढ़ी के सामने किस मुँह से बात कर पाओगे, जब वो पूछेंगे आज तक किसी पीड़ित की आवाज़ उठाई ?? सिर्फ़ दलाली करते रहे ?

इटावा शहर के 90% दलाल पत्रकारों जवाब दो ?? अपनी आगे आने वाली पीढ़ी के सामने किस मुँह से बात कर पाओगे, जब वो पूछेंगे आज तक किसी पीड़ित की आवाज़ उठाई ?? सिर्फ़ दलाली करते रहे ?

सुदिति ग्लोबल
संत विवेकानंद
डीपीएस
सेंट मेरी आदि

👉🏻 इन स्कूलों में आपके दो – तीन बच्चे पढ़ रहे है उनकी फ़ीस 10 से 50 हज़ार महीने कहाँ से आती है ?
👉🏻 महीने में चार हज़ार की सब्जी कहाँ से लेते हो ?
👉🏻 कपड़ों पर प्रेस का धोबी को एक हज़ार महीना कहाँ से देते हो ?
👉🏻 गर्मियों की छुट्टियों में बाहर घूमने जाते हो उसका 20 हज़ार कहाँ से आता है ?
👉🏻 2100- 4200 रुपये का महीने पर दूधबाले का पैसा कौन देता है ?
👉🏻 महीने पर गैस सिलेंडर और राशन,आटा का तीन चार हज़ार कौन देता है ?
👉🏻 मोटरसाइकिल व चार पहिया वाहन का महीने का 3 हज़ार से लेकर 15 हज़ार तक कहाँ से आता है।
👉🏻 कमरे का तीन से चार हजार रुपये किराया कहाँ से आता है ?

इन सबका खर्च थानों की दलाली से चलता है वही से इनका घर चलता है थाने में पहुँचकर सबसे पहले इंस्पेक्टर से जाकर कहेंगे साहब आज चाय नहीं पिलाओगे क्या
यह ख़ुद चाय माँगेंगे
तो आप इसी से अन्दाज़ लगाइए कि चाय पिलाने वाला क्या अन्य पत्रकारों की करेगा, क्या उन्हें कुर्सी पर बैठायेगा
ऐसे दो कोड़ी के नाजायज़ औलाद पत्रकारों की वजह से हम जैसे असली पत्रकारों को अपमान झेलना पड़ता है।और बाद में अधिकारियों से भिड़ंत करते है और यही नाजायज़ औलाद पत्रकार थाने में बीयर की बोतल का ढक्कन खोलकर हम जैसे पत्रकारों को फर्जी बताते है और गाली देते है और ख़ुद दलाल होकर भी असली पत्रकार बनते है। लेकिन यह हम जैसे पत्रकारों के कभी सामने नहीं आएँगे।
राष्ट्रीय सहारा में ऑफिस की सफ़ाई करने व हम जैसे पत्रकारों से ABCD सीखने वाला काला बैंगन छाप पत्रकार जब भी घर से निकलता है तो एक पेंट और चड्डी अतिरिक्त लेकर निकलता है क्यों कि यह मेरे सामने कभी नहीं।गलती से दो बार सामने आ गया था तो इसका मूत निकल गया था इसलिए अब इसको डर इस बात का है कि कहीं में इसके सामने न आ जाऊँ।
👉🏻♦️इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अब कुछ नाजायज़ औलाद पत्रकार इस पोस्ट को देखकर विधवा विलाप करेंगे दारू पियेंगे एक दूसरे के गले से लगकर रोयेंगे कि सुघर सिंह पत्रकार अपना खर्च बतायें वो तो बोलेरो लेकर अपनी बीबी के साथ 😂😂 पहाड़ों में ही घूमते रहते है तो नाजायज़ औलादों में आपको बताना चाहता हूँ ख़ुद का यूट्यूब चैनल है। सैफई बुलेटिन पत्रिका को साल में इतना विज्ञापन मिलता है कि हम छाप नहीं पाते। हमें निष्पक्ष व ईमानदार पत्रकार होने का इतना बड़ा इनाम मिलता है कि हमें हर बार लिखना पड़ता है कि विज्ञापन कोटा पूरा होगा है जगह नहीं है हम छाप नहीं पायेंगे। उसके बाद भी लोग खाते में पैसे भेजते रहते है और पत्रिका के अगले अंक का इंतज़ार करते है बाक़ी बोलेरो गाड़ी है बुकिंग पर चलती है। थोड़ा बहुत खेत भी है। मकान ख़ुद का है। सैफई में 500 अख़बार बँटवाता हूँ।

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