अमृत ध्वनि छंद

अमृत ध्वनि छंद
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#महोबा
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1-
पावक भ्रष्टाचार की,
करे हिन्द को नष्ट।
निष्क्रिय चौकीदार से,
नहीं चोर को कष्ट।।
नहीं चोर को,कष्ट तनिक है,चोरी करते।
हरी हिन्द की,खेती सारी,धूसर चरते।।
जनता जपती,राम नाम नित,होकर भावक।व्याकुल होती,भारत माता,तपती पावक।।
3-
ईश्वर भी चोरी हुए,
न्याय करे अब कौन।
अफसर सोते चैन से,
धारण करके मौन।।
धारण करके,मौन चोर से,माने हारी।
छुपे सत्य के,सूर्य अधिक है,भ्रष्टाचारी।।
चोरों पर है,कृपा आप की,श्री जगदीश्वर।
प्रभुपग बिलखें,दृश्य देखकर,जागो ईश्वर।।
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प्रभुपग धूल

 

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