डमरू घनाक्षरी

डमरू घनाक्षरी
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विधान-32 वर्णों के चार
समतुकांत चरण, 16,
16 पर यति अनिवार्य,
8, 8, 8, 8 पर यति उत्तम,
सभी 32 वर्ण लघु। लय
और प्रवाह मुख्य।
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1-
उछल-उछल कर,
मटक-मटक कर,
नटखट मनहर,
झटकत तन-पट।

चम-चम चमकत,
बदन कनक सम,
कमल नयन लख,
हरसत नटखट।।

उछलत तन-घट,
लहरत तन पट,
मनहर तन लख,
छलकत मन-घट।

दमकत वन पथ,
मनहर मन मथ
हरसत समरथ,
हरकर अघ-झट।।
2-
कहकर हर-हर,
सत सरवर भर,
झर-झर-मत झर,
कर-कर छल-बल।

हर क्षण भज हर,
सत पर चलकर,
हर-हर रट-कर,
हर-जन हर-छल।।

हर कण हर लख,
चख जन सत-फल,
मत कर कल-कल,
झट पदरज मल।

अटक-अटक कर,
भटक-भटक कर,
अघ-घट भरकर,
मत जन बन खल।।
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प्रभुपग धूल

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