पवन छंद

पवन छंद
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शिल्प~
[भगण तगण नगण सगण]
(211   22,
1  111  112)
12 वर्ण प्रति चरण,यति{5,7}
4 चरण, 2-2 चरण समतुकांत।
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1-
संकट भारी,
गिरिधर हरना।
जीवन मेरा,
सुखमय करना।।
भोजन थाली,
मनहर भरना।
हाथ मुरारी,
सिर पर  धरना।।
2-
मोहन आके,
छल-बल हरिए।
माधव आके,
शुभ-गुण भरिए।।
मंगल-कारी,
मनहर बनिए।
टेर हमारी,
गिरिधर सुनिए
3-
पावन मेरा,
तन-मन करिए।
साथ हमारे,
हर-पल चलिए।।
सत्य नदी में,
प्रतिपल बहिए।
भक्त सुखी हो,
गिरिधर कहिए।।
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प्रभुपग धूल

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