श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर प्रावधानों के अनुसार शांति और सुरक्षा को बनाए रखने में भरोसा रखता है

आतंकवाद को खत्म करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने और इसका समर्थन करने वालों की जवाबदेही तय करने की आवश्यकता है: नई दिल्ली में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षा मंत्री


श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर प्रावधानों के अनुसार शांति और सुरक्षा को बनाए रखने में भरोसा रखता है

‘बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी के सहयोग’ को सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयासों का आह्वान किया

“सुरक्षित, स्थिर एवं समृद्ध क्षेत्र प्रत्येक राष्ट्र के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेगा”

“प्रधानमंत्री मोदी का ‘सिक्योर’ विजन क्षेत्र के बहुआयामी कल्याण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है”

साझे सुरक्षा हितों के लिए एससीओ सदस्य देशों की रक्षा क्षमता निर्माण के लिए प्रतिबद्धः रक्षा मंत्री

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों की बैठक में आतंकवाद के सभी रूपों को खत्म करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने और इस तरह की गतिविधियों को सहायता व वित्तपोषण करने वालों की जवाबदेही तय करने का आह्वान किया है। 28 अप्रैल 2023 को नई दिल्ली में एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों को संबोधित करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि सभी तरह की आतंकवादी गतिविधियों या किसी भी रूप में इसका समर्थन मानवता के खिलाफ बड़ा अपराध है और शांति एवं समृद्धि इस खतरे के साथ बनी नहीं रह सकती है।

रक्षा मंत्री ने कहा “यदि एक राष्ट्र आतंकवादियों को शरण देता है, यह न सिर्फ दूसरों के लिए बल्कि स्वयं के लिए भी खतरा पैदा करता है यह उसके लिए भी खतरा है। युवाओं में उग्रवाद की प्रवृत्ति न सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से चिंता का विषय है, बल्कि यह समाज की सामाजिक-आर्थिक प्रगति की राह में एक बड़ी बाधा भी है। यदि हम एससीओ को एक सशक्त और अधिक विश्वसनीय अंतर्राष्ट्रीय संगठन बनाना चाहते हैं, तो आतंकवाद से प्रभावी रूप से निपटना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।”

श्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि भारत क्षेत्रीय सहयोग के एक मजबूत ढांचे की परिकल्पना करता है जिसमें सभी सदस्य देशों की संप्रुभता और क्षेत्रीय अखंडता का पारस्परिक रूप से सम्मान हो और उनके वैधानिक हितों का ध्यान रखा जाए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नई दिल्ली एससीओ के सदस्य देशों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के प्रावधानों के अनुसार शांति और सुरक्षा को बनाए रखने में भरोसा रखती है।

सामूहिक समृद्धि सुनिश्चित करने के विजन पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए, रक्षा मंत्री ने एससीओ सदस्य देशों द्वारा ठोस प्रयासों का आह्वान किया, ताकि आज की बहुपक्षीय दुनिया में असीम संभावनाओं वाला क्षेत्र ‘सभी पक्षों के लिए लाभ की स्थिति होगी’ से ‘कुल परिणाम शून्य होगा कोई भी जीत या हार की स्थिति में नहीं होगा’ की मानसिकता में बदल सके। उन्होंने कहा कि “भारत हमेशा से मिलकर काम करने और साथ मिलकर आगे बढ़ने के सिद्धांत का पालन करता है। प्रत्येक युग चेतना का युग होता है। वर्तमान युग ‘बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी के सहयोग’ का है।

श्री राजनाथ सिंह ने 2018 में चीन के चिंगदाओ में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रस्तुत की गई ‘सिक्योर’ की अवधारणा के बारे में भी बताया। उन्होंन कहा कि सिक्योर शब्द का हर अक्षर क्षेत्र के बहुआयामी कल्याण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करता है।

एस- सिक्योरिटी ऑफ सिटीजन्स (नागरिकों की सुरक्षा)

ई- इकॉनोमिक डेवलपमेंट फॉर ऑल (सभी के लिए आर्थिक विकास)

सी- कनेक्टिंग द रीजन (क्षेत्रीय जुड़ाव)

यू- यूनिटिंग द पीपुल (लोगों को एकत्रित करना)

आर- रीस्पेक्ट फॉर साव्रिन्टी एंड इंटेग्रिटी (संप्रभुता और अखंडता के लिए सम्मान)

ई- एंवायरमेंटल प्रोटेक्शन (पर्यावरण संरक्षण)

सदस्य देशों का ध्यान ‘सिक्योर’ के विभिन्न आयामों की ओर आकर्षित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आज की दुनिया का एक बड़ा हिस्सा खाद्य संकट से जूझ रहा है। उन्होंने एससीओ सदस्य देशों से एकीकृत योजना के तहत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह एससीओ को पूरी दुनिया के लिए एक रोल मॉडल के रूप में स्थापित करेगा। जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने के लिए उन्होंने न्यूनीकरण और अनुकूलन को प्राथमिकता देते हुए एक साझी रणनीति के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा साझी रणनीति का हिस्सा होनी चाहिए।

श्री राजनाथ सिंह ने सदस्य देशों के बीच पारस्परिकता को बढ़ाने के लिए एससीओ अध्यक्ष के रूप में भारत द्वारा शुरू की गई दो रक्षा संबंधी गतिविधियों का भी उल्लेख किया। ये हैं- ‘मानवीयता सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर)’ विषय पर कार्यशाला और ‘डिफेंस थिंक-टैंक ऑफ एससीओ कंट्रीस’ विषय पर सेमिनार। दोनों कार्यक्रमों में सभी एससीओ सदस्य देशों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने को मिली।

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