प्रदीप छंदाधारित श्री गणेश जी की वंदना
प्रदीप छंदाधारित
श्री गणेश जी की वंदना
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धूम्र केतु का पूजन करलो,
प्रथम पूज्य गजराज हैं।
भाल चन्द्र को शीश झुकाओ,
रखते गणपति की लाज हैं।।
1-
नेत्रदान देते अंधों को,
भरते धन भंडार हैं।
पूत दान देते बाँझों को,
जगके पालनहार हैं।।
कंचन काया दे कोड़ी को,
रखते सिर-पे ताज हैं।
भाल चंद्र को———
2-
पंगु चढ़े गिरि पर क्षणभर में,
गूंगे गाते गान हैं।
कुमुद कली से रोगी खिलते,
गुरु-गुरु के वरदान हैं।।
शीतल हैं ईश्वर हिम से भी,
मत होते नाराज हैं।
भाल चन्द्र को———-
3-
वेद पाठ अनपढ़ करते हैं,
निर्धन करते दान हैं।
छंद लिखें नित प्रभुपग सुंदर,
देते ईश्वर ज्ञान हैं।।
दीन-दुखी की विपदा हरते,
सुख-सुविधा के साज हैं।
भाल चंद्र को————–
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प्रभुपग धूल