रामा हे रामा हे मेरे रामा कलयुग में एकबार आओ न रामा।

रामा हे रामा हे मेरे रामा कलयुग में एकबार आओ न रामा।
त्रेता में जैसे तुम आये रामा कलयुग में एकबार आओ न रामा।।

तुमको ही ढूंढूं जहाँ भी मैं जाऊं।
जिस घर में जाऊँ मैं रावण पाऊँ।।
सारे जगत में यही है समाचार।
फैला है रावण का अत्याचार।।

अत्याचार से सबको बचाओ न रामा….
रामा हे रामा हे मेरे रामा कलयुग में एक बार आओ न रामा..

कैकेयी बहुत हैं मंथरा भी संग में।
ढल जाती हैं जो उनके संग में।।
कोई वनवासी बने न यहाँ अब।
विचारों पे मोहर लगाओ न रामा।।

रामा हे रामा हे मेरे रामा कलयुग में एक बार आओ न रामा..

सबरी भी राहें देखे तुम्हारी।
कब आओगे कुटिया हमारी।।
छप्पन भोग तैयार किये हैं।
आकर भोग लगाओ न रामा।।

रामा हे रामा हे मेरे रामा कलयुग में एक बार आओ न रामा..

एक नहीं बहुत सी हैं सीता।
कलयुग आया द्वापर भी बीता।।
हर दिन हरण हो रहा है यहाँ पर।
लाज तुम सबकी बचाओ न रामा।।

रामा हे रामा हे मेरे रामा कलयुग में एक बार आओ न रामा..

स्वरचित,
[केसरवानी©चन्दन]
कानपुर नगर उत्तर प्रदेश
8090921177

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