शक्ति छंद
शक्ति छंद
(विशेषता-
अधर(होंठ से होंठ स्पर्श रहित)
(१८ मात्रिक छंद)
१,६,११,१६ वीं मात्रा लघु हो।
दो दो चरण समतुकांत हो।
चार चरण का एक छंद होता है।
मापनी:- –
(122 122 12 2 12)
1-
घड़ी है सुहानी चले आइए।
कहें चाँद-तारे नहीं जाइए।।
सजी रोशनी से धरा चाहिए।।
घना है अँधेरा इसे टालिए।।
2-
ख़िले सूर्य तेरा ढले रात ये।
रहे साथ तू स्वर्ण गौगात ये।।
हरो शोक कान्हा नहीं धीर है।
रसे रक्त धारा धसा तीर है।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश