तुम्हारे मायने
!!तुम्हारे मायने!!
तुम हो जीने की कला,
तुम्ही जीने की चाह हो।
मेरे जीवन का सहारा तुम्ही
तुम्ही “श्री” का गुमान हो!।
श्री की जिंदगी तुम्ही ,
श्री की बंदगी तुम्ही।
क्या क्या कहूं कैसे कहूं,
श्री के लिए क्या चीज़ हो।
हो खफा या बंधन में हो क्या हुआ,
तुम्ही जीने की चाह हो।।
मेरी”पूजा” तुम्ही, मेरी बंदगी तुम्ही,
तुम मिलोगी या नहीं इस बात पर मलाल है।
प्यार तुमसे किया,
बस इस बात का गुमान है।।
सुनो जाना खड़ा हूं वहीं
जहां तुमने कहा था चले जाना।।
श्री मजबूर है जाना कुछ कर नहीं सकता
तुम फिर भी चली आना चली आना।।
@मौलिक_सृजन
©®श्रीनिवास शुक्ला “श्री”
भक्तमालीधाम कुरसी
जनपद सीतापुर उ.प्र.