ताटंग छन्द आधारित गीत

ताटंग छन्द
आधारित गीत
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बीते पल की याद सुहानी,
मनभावन लौटा देना।
खेले सावन की बारिश में,
वो सावन लौटा देना।।
खेलें सावन–
शंख बजाते पंडित ज्ञानी
राम भजन भी गाते थे।
बरगद की शीतल छाया वो,
सुख छावन लौटा देना।।
खेलें सावन–
साथ खेलते सारे बच्चे,
पड़ने सँग में जाते थे।
बचपन के वो मधुर तराने,
दिन पावन लौटा देना।।
खेलें सावन–
चूल्हे की रोटी विर्रा की,
लपटा सँग में खाते थे।
वो महुआ की मीठी डुबरी,
उर भावन लौटा देना।।
खेलें सावन–
रमतूला रब्बी बाजे भी,
कितना मनको भाते थे।
साथ नाचते मनके सच्चे,
धुन पावन लौटा देना।।
खेलें सावन–
गलियों में जब गिल्ली खेले,
कितना प्यारा बचपन था।
चलो खेलने छुक छुक चलनी,
सुख सावन लौटा देना।।
खेलें सावन–
मोबाइल भी पास नहीं थे,
ख़त से काम चलाते थे।
बड़ा चैन था मनको मेरे,
ऋतु भावन लौटा देना।।
खेलें सावन–
माता के आँचल की छाया,
प्यारी गोदी दादी की।
बहना जाती खेत साथ में,
पल भावन लौटा देना।।
खेलें सावन–
गोवर की थी खाद निराली,
खेतों में हरियाली थी।
देह निरोगी जन जन की थी,
क्षण पावन लौटा देना।।
खेलें सावन–
लुक्का छुप्पी आँख मिचोली,
खेले गोली गोली थे।
पकड़ कबड्डी प्यार भरी वो,
अति पावन लौटा देना।।
खेलें सावन–
बग्गा गोटी जूझ मार भी,
बड़े दिमाग़ से खेले थे।
इमली का वो स्वाद रसीला,
अति भावन लौटा देना।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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