रचा इतिहास नीरज
गीत
-रचा इतिहास नीरज
मात्रा -16, 12 पदांत 22
रचा नया इतिहास जगत में, स्वर्णिम नाम कमाया।
माॅ॑ भारती का यह दुलारा,जन -जन के मन भाया।
स्वर्ण पदक को जीता देखो, उछाल के वह भाला।
तन-मन से वह खेला ऐसे, बना खिलाड़ी आला।
नाम किया भारत का ऊॅ॑चा,सबकी शान बढ़ाया ।
माॅ॑ भारती का यह दुलारा,जन जन के मन भाया।
बजा रहे हैं ढ़ोल नगाड़े, दुनिया खुशी मनाये।
मात-पितृ का गर्व से सीना,तुम चौड़ा कर आये।
देता शुभम कामना भारत,नीरज पुष्प खिलाया।
माॅ॑ भारती का यह दुलारा,जन -जन के मन भाया।
तुमको नमन विश्व यह करता, सुगंध विजयी घोले।
नीरज- नीरज करती जनता,जय -जयकारा बोले।
पुलकित होती भारत धरती,सबका मन हर्षाया।
माॅ॑ भारती का यह दुलारा, जन जन के मन भाया।
स्वरचित
दीपिका रुखमांगद दीप