कलम कार अब क्या करे, भारी जंगल राज।
दोहा मुक्तक
(सत्य घटना)
1-
कलम कार अब क्या करे,
भारी जंगल राज।
सत्य दौड़ता डगर में,
ठोकर मारी आज।।
चित्र कूट की बात है,
संजय राणा नाम।
संकट भारी शीश पे,
प्रभुपग आती लाज।
2-
सूर्य सत्य का डूबता,
सतकी सूखी धार।
कलम कार की बात है,
लगते इनको भार।।
पापी के मन पाप था,
मनमें भारी मैल।
टक्कर मारी जोर से,
जारी है उपचार।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश
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