पाती हिलती नीम की, मन्द पवन के वेग।

कुंडलिया
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पाती हिलती नीम की,
मन्द पवन के वेग।
रिम झिम मेघा प्रेम के,
बादल जैसें तेग।।
बादल जैसें तेग,
मोर की मधुरम टोली।
कोयल मीठे बोल,
विपिन में बुल बुल बोली।।
प्रभुपग बरसें नीर,
बूँद सबके मन भाती।
हिरनी जल के तीर,
चैन निज उर में पाती।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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