चिंतन चित्रकूट में लेकिन चिंतन से चित्रकूट गायब

आरएसएस चित्रकूट चिंतन शिविर
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चिंतन चित्रकूट में लेकिन चिंतन से चित्रकूट गायब
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राकेश कुमार अग्रवाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चित्रकूट में चले मैराथन चिंतन शिविर पर सभी की निगाहें लगी थीं लेकिन जैसा कि हमेशा से होता आया है कि आरएसएस का पूरा चिंतन गोपनीयता के दायरे में होता है एवं इस संगठन में बयानबाजी से परहेज किया जाता है .
मीडिया ने भले शिविर पर जमकर खबरें निकाली हों लेकिन सच यह भी है कि आरएसएस की ओर से केवल दो विज्ञप्तियां जारी हुईं . नानाजी देशमुख की कर्मस्थली रही चित्रकूट आरएसएस का पसंदीदा स्थल बन गया है जहां वह गाहे बगाहे चिंतन शिविर लगाती रहती है .
इस शिविर का मुख्य मकसद आगामी विधानसभा चुनावों का एजेंडा तैयार करना था . क्योंकि उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड जैसे दो राज्यों में चुनाव भाजपा की नाक का सवाल भी हैं . चुनावों के लिए उल्टी गिनती शुरु हो गई है . भले संघ ये कहता है कि उसका चुनावों से कोई लेना देना नहीं है लेकिन यह भी किसी से छुपा नहीं है कि जमीनी लेवल पर संघ ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है . चुनावों को साधना , उसको गति देना , प्रत्याशी चयन में संघ का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष दखल रहता है . उसके पास टीम भी है और एक लक्ष्य भी सामने है . वैसे भी उत्तर प्रदेश 2022 का चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बाद पार्टी को लोकसभा चुनावों की तैयारी में जाना है . यूपी और उत्तराखंड की सत्ता हाथ से निकलने का रिस्क आरएसएस भी कतई लेना नहीं चाहता है .
सरकार को संघ से शक्ति मिलती है . लेकिन चौंकाने वाला बात यही है कि नानाजी ने जिस काम को चित्रकूट में शुरु कराया था . संघ इसी काम को यहां से आगे बढा सकता था . लेकिन न चित्रकूट न ही बुंदेलखंड की बदहाली पर चिंतन शिविर में चर्चा की गई . सूखा , पलायन , नदी जोडो , जंगलों की कटाई , यूपी – एमपी को जोडकर बुंदेलखंड राज्य का निर्माण , चित्रकूट को फ्री जोन घोषित कराना , बुंदेलखंड पर्यटन विकास जैसे तमाम मुद्दे ऐसे हैं जिन पर संघ दखल देकर सरकार से तत्काल कदम उठाए जाने की बात भी चिंतन शिविर में पारित करा सकता था .
संघ ने चित्रकूट में चिंतन के दौरान बंगाल में बदलाव से लेकर अयोध्या और राम मंदिर पर भी चर्चा की व फैसले लिए लेकिन यह सभी फैसले मीडिया के समक्ष नहीं रखे गए . नवरात्रि के बाद संघ पूरी तैयारी से चिंतन शिविर में लिए गए फैसलों पर अमल शुरु कर देगा . क्योंकि इस बार का चुनाव संघ और भाजपा सभी के लिए शीर्ष पर है . लम्बे अरसे से सुप्त अवस्था में पडा संगठन विश्व हिंदू परिषद भी सक्रिय हो गया है . सभी अनुसांगिक संगठनों को दिशा निर्देश पहुंचाना और उन्हें पूरी तरह से सक्रिय करना भी इस रणनीति का हिस्सा था . विहिप का शिविर भी वृंदावन में शुरु हो गया है . धीरे धीरे जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता और स्वयंसेवक काम शुरु करके मिशन 2022 को अंजाम तक ले जाएंगे इस मंशा को अमली जामा पहनाना ही सबसे बडा लक्ष्य प्रचारकों को दिया गया है .

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