बिखरता परिवार सिमटता प्यार

” लेख लेखन ”
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विषय :– ” बिखरता परिवार सिमटता प्यार ”
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आज मानव शिक्षित समाज का मुकुट धारण कर विख्यात हो चला है । क्या ऐसी प्रसिद्धि मानव और मानवता के रिश्तों के प्रति अनुकूलता प्रस्तुत करता है ? नहीं बिल्कुल ही नहीं , क्योंकि मनुष्य किताबी ज्ञान के आधार को स्वयं की शिक्षा से जोड़कर उत्कृष्ट बनना चाहता है , शिक्षित मनुष्य की उत्कृष्टता उसके शिष्ट व्यवहार से संभव है ।
आये दिन अधिकाँश घरों में बिखराव उच्च शिक्षा और उच्चतम सोसाइटी की परिकल्पनात्मक सोच के कारण बढ़ रहा है । पति-पत्नी का दांपत्य-प्रेम दिखावे और स्वयं को दूसरे से श्रेष्ठ दिखाने के चक्रव्यूह में फँसकर उलझता जा रहा है ।
बच्चों का घर के बड़े वरिष्ठ जनों के प्रति सम्मान का भाव न होना पारिवारिक बिखराव को जन्म देता है । परिवार रिश्तों की पवित्रता व परस्पर सहयोग और सम्मान से सुदृढ़ तथा सुरक्षित रहता है । परस्पर सहयोग, सम्मान व समर्थन के अभाव में पारिवारिक सौहार्द्रता नष्ट प्राय हो जाती है और बिखराव उत्पन्न हो जाता है ।
परस्पर रिश्तों का सम्मान करते हुए पारिवारिक विखण्डन से बचिए ।
धन्यवाद
नरेन्द्र वैष्णव
सक्ती

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