मनहरण घनाक्षरी छंद

*मनहरण घनाक्षरी छंद*

देश हित दिए जान
उनका हि बढ़ा मान
शीश रणबांकुरे की
शान में झुकाइए ।

भारत माँ के जो लाल
हमारी बने जो ढाल
उनके सम्मान में न
आप सकुचाइए ।

अपनी माँ की वो जान
पिता की वो पहचान
बहन की राखी हैं वो
आँखों पे बिठाइए ।

ढोक छाती ललकारा
दुश्मनों को है पछाड़ा
उन्हें याद कर नव
उमंग जगाइए ।

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✍️स्वरचित – *रश्मि शुक्ल*
*रीवा (म.प्र.)*

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