मनहरण घनाक्षरी छंद
*मनहरण घनाक्षरी छंद*
देश हित दिए जान
उनका हि बढ़ा मान
शीश रणबांकुरे की
शान में झुकाइए ।
भारत माँ के जो लाल
हमारी बने जो ढाल
उनके सम्मान में न
आप सकुचाइए ।
अपनी माँ की वो जान
पिता की वो पहचान
बहन की राखी हैं वो
आँखों पे बिठाइए ।
ढोक छाती ललकारा
दुश्मनों को है पछाड़ा
उन्हें याद कर नव
उमंग जगाइए ।
*****
✍️स्वरचित – *रश्मि शुक्ल*
*रीवा (म.प्र.)*