हँसती भी है जिंदगी

🌷हँसती भी है जिंदगी🌷

यूँ तो धरा अंधकार है
पर अंबर में चमत्कार है
पल -पल बनते बिगड़ते
क्या मनोरम आकार है।

कहीं समुद्री उफान
कहीं धनुष और बाण
कहीं धुँधला है सबकुछ
मानो आया हो तूफान।

कहीं घरौंदा रेत का
कहीं डेरा भूत -प्रेत का
कहीं मटमैला रंग है छाया
मानो जुताई हुई हो खेत की।

कहीं सुंदर मोहिनी नारी
कहीं फूलों की क्यारी
हल्का सा झाँकता चाँद कहीं
सूर्य उदित सी उज्यारी।

धरती की हर चहल पहल का
कर रहा बादल नकल
बहुत प्रतिभाशाली है यारों
उतारने को आतुर धरती की शक्ल।

भागदौड़ की जिंदगी
हर ओर दिखता बस गंदगी
कभी इन नजारों को नजर तो दो
हँसती भी है जिंदगी।

✍️खुशबू कुमारी(सोना)
कटकमसांडी, हजारीबाग(झारखंड)

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