विकास दुबे केस: पिता की तरह ही बेटे ने भी पुलिस पर चलाई थीं गोलियां, पुलिस ने रखा 25 हजार का इनाम
जैसा बाप वैसा बेटा। यह कहावत बिकरू कांड के आरोपी वितुल दुबे ने सच कर दी। आरोप है कि अपने पिता अतुल दुबे की तरह ही वितुल ने भी पुलिस पर 2 जुलाई की रात को गोलियां चलाई थीं। पुलिस ने विवेचना के दौरान उसका नाम खोला। वितुल पर 25 हजार रुपए का इनाम है। पुलिस को उसकी तलाश है।
अतुल दुबे को 3 जुलाई की सुबह एनकाउंटर में पुलिस ने मार गिराया था। अतुल के परिवार में पत्नी ज्योति के अलावा बेटा वितुल, नकुल और एक बेटी दीक्षा है। एसपी ग्रामीण ने बताया कि वितुल दुबे घटना वाली रात को गांव में मौजूद था और उसने भी पुलिस पार्टी पर फायरिंग की थी। वह इस मामले में फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है।
मां घर छोड़कर चली गई
अतुल दुबे नशे का लती था। उसकी इन्हीं हरकतों की वजह से ज्योति परेशान रहती थी। डेढ़ साल पहले ज्योति बिना किसी को कुछ बताए घर से चली गई। उसकी बहुत तलाश की गई मगर कुछ पता नहीं चला। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि वह जहां भी है सुरक्षित है। यहां रहने पर भी ज्योति ज्यादातर समय अपने मायके बैरी बागपुर में रहती थी। उसका बेटा नकुल और बेटी दीक्षा अभी भी ननिहाल में रह रहे हैं।
आईटीबीपी की तैयारी कर रहा था वितुल
वितुल पढ़ाई में ठीक था। वह मां और पिता से अलग कल्याणपुर में रह रहा था। वहां पर वह अपना खर्च कोचिंग पढ़ाकर निकालता था। वितुल ने आईटीबीपी में भर्ती के लिए परीक्षा भी दी थी। जिसका परीणाम आना बाकी है। मगर स्थितियां तब बदलीं जब वितुल अमर दुबे की शादी में शरीक हुआ। वहां पर कुख्यात विकास दुबे की रंगबाजी ने उसे अपराध की दुनिया की तरफ खींच लिया। वितुल का उसके बाद से गांव आना जाना बढ़ गया था और वो अतुल दुबे से विकास के बारे में जानकारी भी लेता रहता था। घटना वाले दिन विकास ने ही वितुल को बुलवाया था।
मुठभेड़ स्थल पहुंचा न्यायिक आयोग, आईजी से पूछा कैसे की घेराबंदी
न्यायिक आयोग की टीम शुक्रवार को बिकरू पहुंच चुकी है। बिकरू से सटे काशीराम नेवादा गांव में उस स्थल को देखा जहां 8 पुलिस कर्मियों की शहादत के बाद पुलिस ने अतुल दुबे और प्रेम प्रकाश पांडेय को मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था। न्यायिक आयोग के सदस्यों ने मुठभेड़ स्थल का जायजा लेने के बाद आईजी रेंज मोहित अग्रवाल से कई सवाल दागे। पूछा कि किस तरह दोनों की घेराबंदी की गई। कितनी तरफ से पुलिस ने घेरा बनाया था। किस तरीके से फायरिंग की गई। अपराधियों के छिपे होने की सूचना पुलिस को कैसे मिली। इसी तरह से पूछा कि मुठभेड़ में मारे गए बदमाश किस तरह के हथियार से गोलियां चला रहे थे। तमाम सवालों के बाद टीम दूसरे मुठभेड़ स्थल पनकी और सचेंडी के लिए रवाना हो गई।