हाकलि छंद
हाकलि छंद
सृजन शब्द-मुदिता
मात्रा-14
4+4+4+2
होती मुदिता प्यारी सी।
जैसे लगती हर्षित सी।।
प्रमुदित खिलती कलियाँ सी।
अविरल झरती फूलों सी।।
देखी मूरत भावन सी।
मानव जीवन अर्पण सी।।
मुदित हुए मन साजन जी।
चम चम चमके बिजली जी।।
मुदिता माधुरी वनिता हो।
राधा प्यारी ललिता हो।।
कान्हा मोहन श्यामा हो।
रास रचाते वल्लभ हों।।
तृप्ता श्रीवास्तव।