कुंती के कर्ण कानीन। क्यों करें कोई कलेश

कानीन
कुंती के कर्ण कानीन।
क्यों करें कोई कलेश
कृपा करी कर्ण धार।
कसौटी कस्ती बनी।

सत्या सौंदर्य स्वरूपा।
संत ॠषि सम्मोहन
सरिता सहगामिनी।
साहिल सैय्या बनी

कबीर,सांई,जीजस
कर्मानुसार कुशल
तीनों सकल महान।
सदकर्मो की बाणी।

ऊंचा नीचा भेद नहीं
जाति धर्म,भाषा ज्ञान
कोन कुलीन कानीन।
महानुभाव ज्ञानी।

एक दानी एक ज्ञानी
एक याचक बन ले
गये कुंडल कवच।
रची कथा पुरानी।
स्वरचित घनाछरी छंद तृप्ता श्रीवास्तव।

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