नारी तेरे रूप अनेक
कविता ,
नारी तेरे रूप अनेक ,
कभी तू अम्बर
कभी धरा है
कभी तू चंचल
नदिया सी ,
कभी तू मधुबन जैसी
मोहक
कभी कटीली
बगिया सी ,
कभी तू माँ की
लोरी जैसी
कभी बहन की
राखी सी ,
कभी पिया की
प्यारी जैसी
कभी दुलारी
बिटीया सी ,
कभी रसभरी मीठी मीठी
कभी नीम की गोली सी ,
कभी तू गहरे सागर जैसी
कभी तू छलके गागर सी
नारी तेरे रूप अनेक ।
सुधा तिवारी ( साकेत नगर )
देवरिया उ0 प्र0