दो ऐसा आशीष माँ

दो ऐसा आशीष माँ

जयति जय माँ शारदे
नमन हमसब आपको करते हैं।
जीवन नैया का सफर
सदा आपके आशीष से ही करते हैं।
हरपल हरक्षण
माँ को बालक की चिंता सदा सताती है।
भविष्य के लिए अनुकूल
पथ माँ ही तो हम सबको दिखलाती है।
प्रथम जुलाई नौ में
माँ ने वैवाहिक जीवन का हमें आशीष दिया,
प्रीति रूप में
मुझको जीवन साथी बहुत विशेष दिया।
सुख हो या दुःख
सदा साथ वह जीवन में खड़ी रहती है।
अपने धर्म का
पालन प्रीति प्रीति के संग ही करती है।
मान्यता संग
उपलब्धि रूप में दो प्यारी कलियाँ है मिली।
शारदे वेद अश्विनी
के आशीष से यह सुंदर बगिया है खिली।
बसंत पतझड़ सा
मिश्रित जीवन के गयारह सावन बीत गए ।
माँ की कृपा से ही सदा
दुःख कटे और सुख के पल संगीत बन गए।
प्रार्थना माँ से
सदा श्रीवास्तव परिवार यही करे,
दो ऐसा आशीष माँ
सुख,शांति,प्रीत की गंगा जीवन मे सदा बहे।।

ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
तिलसहरी, कानपुर नगर

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