इश्क़ की राह में जब हसीना बुलाने लगे। प्रेम की धूप में तब पसीना बहाने लगे।।

बह्र-
21 22 1 22 122 122 12
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इश्क़ की राह में जब हसीना बुलाने लगे।
प्रेम की धूप में तब पसीना बहाने लगे।।

आपके प्यार में हो गए पागलों की तरह।
सूर्य की धूप में हम पसीना सुखाने लगे।।

चांदनी रात में अब अंधेरा दिखाने लगा।
आपकी खोज में हम दफ़ीना खुदाने लगे।।

प्यार के दीप से रोशनी तो हुई है मगर।
रात के ख़्वाब में हम करीना जगाने लगे।।

नैन के नीर से हम नदी से नहाने लगे।
इश्क़ के खेल में फिर रवीना हँसाने लगे।।

आज प्रभुपग नज़र से निगाहें चुराने लगे।
पास हैं आपके पर बबीना बताने लगे।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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