कुंडलिया

कुंडलिया
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भोजन-
1-
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भोजन सबकी जान है,
प्रथम इसे लो मान।
देखें जो जो नैन से,
वो ही भोजन जान।।
वो ही भोजन जान,
वेद की ऐ ही वाणी।
खाली हो जो पेट,
चलें मत वीणा पाणी।।
प्रभुपग निकले जान,
जगत में भूखे जो जन।
करते हैं जन काम,
उदर जो होवै भोजन।।
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2-
भोजन करना जीव का,
दानव का है काम।
भोजन ऐसे छोड़ के,
लेना राघव नाम।।
लेना राघव नाम,
बनो जी शाकाहारी।
आओ ईश्वर धाम,
तजो जी मांसाहारी।।
प्रभुपग बोलें राम,
सुखद होते हैं वो जन।
रघुवर प्यारा नाम,
करो जी सादा भोजन।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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