भ्रष्टाचार के भूत

ताटक छंद- भ्रष्टाचार के भूत!

भ्रष्टाचार भूत को देखो,
चारों तरफें छायें हैं!
छोटे मोटे सब गरीब को,
मुँह में अपने डालें है!!

चूस चूस कर रक्त पी गये,
पिंजरा तन का छोडा़ है!
कभी नहीं वह पनप न पाये,
नहीं मरण हो पाया है!!

बच्चे उनके तडप रहें हैं,
इक रोटी के टुकड़े को!
देखो कुत्ते घूम रहे हैं,
उन्ही निबाला खाने को!!

कहीं देखते रोटी उनके,
इरसा से भर जाते हैं!
भ्रष्टाचारी मुँह फैलाये,
अजगर सम डस जाते हैं!!

यह भारत की लीला देखो,
जो सरकारें आती है!
वही भ्रष्ट के घर में आती,
भ्रष्टाचार बढाती है!!

अमरनाथ सोनी “अमर ”
9302340662

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