भ्रष्टाचार
पटल को नमन
( यह छंद लेखन का प्रथम प्रयास)
विधा-ताटक छंद
विषय-भ्रष्टाचार
आज देख चारों ओर बढ़ा,
अर्थ का बोल बाला है।
बहुत बड़ा होता धन जग में,
भ्रम मानव ने पाला है।
पैसे का लोभ इतना बढ़ा,
धन में जग मतवाला है।
खो रही धरा अब मानवता ,
माया का सब जाला है।
भ्रष्टाचार कोढ़ समाज का,
इसने डेरा डाला है।
जग सारे रिश्ते भूल गया,
माया बनती खाला है।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम