समाज का कैंसर नशा
समाज का कैंसर नशा
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दोहा-
कैंसर से ऐ कम नहीं,
जागो मेरे यार।
सारे दुख की खान है,
भारी इसका भार।।
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जिस तरह कैंसर की बीमारी रोगी को धीरे धीरे यम लोक पहुँचा कर ही दम लेती है।
ठीक उसी तरह नशा भी लोगों को धीरे धीरे यमलोक तक का सफर पूर्ण करवाके ही दम लेता है।
ऐसा कहना कोई अतिसंयोक्ति नहीं होगा वल्कि अब तक न जाने कितने लोग इस नशा रूपी दानव के काल मुख में समा चुके है।
आज नशा का माया जाल इस तरह विकराल रूप ले चुका है कि इसे समाप्त करना अब नभ से तारे तोड़ने जैसा कार्य प्रतीत होने लगा है।
नशा रूपी प्रबल पावक की लपटों ने हमारे देश के महानगर शहरी कस्वाई व ग्रामीण अंचलों से लेकर गलियों चौबारों तक को अपने आगोश में ले लिया है ।आज शायद ही कोई घर ऐसा होगा जिसमें एक दो व्यक्ति नशा के कुचक्र में न फसे हो ।
जिसके चलते आज नवयुवक नशा रूपी सिन्धु में निरंतर समाते जा रहे हैं ।
क्या असर पड़ता है नशा
का हमारे समाज पर—-
जब हमारे देश के नवयुवक नशा रूपी तुरंग पर सवार हो जाते हैं तो फिर इनकी सभ्यता नैतिक शिक्षा व देश की शिक्षा धूल धूसित हो जाती है ।और फिर तरह तरह के गंभीर आपराधिक कार्यों को अंजाम देने से भी नहीं चूकते आज देश में आपराधिक मामले इस तरह तीव्रता से बढ़ते देखे जा रहे हैं कि सरकार व जिम्मेदार अफसरों की लाख कोशिशों के वावजूद भी आपराधिक सलिला का वेग कम कम होता प्रतीत नहीं हो रहा है।
लोग नशा की लत में लवलीन होकर अपने घर की संपत्ति को पानी की तरह पी जाते हैं।
लाखों घर इसी नशे की बजह से वरवादी की कगार पर पहुँच गए हैं।
जब ऐ लोग नशा के चलते अपनी संपत्ति नष्ट कर डालते हैं तो फिर ऐ लोग इसकी भरपाई के लिए आपराधिक कार्यों को अंजाम देते हैं।
फिर कानून के चक्र में फस कर अधिकांश जीवन कारागार में ही व्ययतीत करते हैं ।
इस दौरान घर में दो वक्त की रोटी व बच्चों के पालन पोषण का संकट पैदा हो जाता है जिसके चलते इनकी पीढ़ी दर पीढ़ी इस नशे के मायाजाल में फसती चली जाती है।
और इनका हँसता खेलता जीवन नर्क बन जाता है।
आखिर क्यों समाप्त नहीं हो रहा नशा रूपी कैंसर—
आज वेरोजगारी तंगहाली गरीबी इस तरह घर कर गई है कि लोग आज नशे के कारोबारों को अंजाम देकर जीविका अर्जित करते देखे जा रहे हैं।
नशा के कारोबार आज जीविका कमाने का अनुपम साधन बन चुके है।
जिसके फलस्वरूप लाख कोशिशों के वावजूद भी नशा रूपी कैंसर समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है।
नशा रोकने के लिए क्या कदम उठाया आज तक की सरकारों ने-
नशा रूपी कैंसर को समाप्त करने के लिए सरकार ने आज तक जो भी कदम उठाए वो सब निराधार सावित हो रहे हैं क्यों कि सरकार स्वयं गांव गांव शराब के व अन्य नशा के कारोबारों को अंजाम देकर देश का पालन पोषण कर रही है जो वेहद शर्मनाक विषय है इसके वावजूद भी सरकार इसको वेखौफ़ गति प्रदान करती देखी जा रही है ।
आम नागरिक यदि नशे का कारोबार करे तो अबैध है और सरकार गांव गांव शराब के ठेके खुलवाकर नशा की बिक्री करवाए वो वैध है।
आज लाखों घर इस नशे ने वरवादी की कगार पर पहुँचा दिए हैं।
जिसकी बददुआ से ऐ लालची सरकार कभीबबच नहीं सकेगी।
इस तरह सचमुच नशा कैंसर से कम नहीं।
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प्रभु पग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश