सज्जन विचार। हरि गुण हजार।।
छवि छंद(मापनी युक्त)
8 मात्रा अंत 121
1-
सज्जन विचार।
हरि गुण हजार।।
दुर्गुण समार।
रघुवर हमार।।
2-
दिल दुख अपार।
हर सुख सचार।।
सुध मन तुम्हार।
हरि जन निहार।।
3-
कर अब कमाल।
हर सब बवाल।
सुन कर सवाल।
प्रभु वर सँभाल।।
4-
लख लख नजीर।
धर पग लकीर।।
रघुवर अमीर।
हम सब फकीर।।
5-
मोहन पुकार।
सोहन उचार।।
हैं हम गरीब।
है सब नसीब।।
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प्रभुपग धूल
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश