गंगा पावन करे सभी को, इसको पावन कौन करे।
🥀गीत🥀
(16-14)
विषय-गंगा
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गंगा पावन करे सभी को,
इसको पावन कौन करे।
गंगा धोती पाप सभी के,
अबतो गंगा मौन धरे।।
गंगा पावन—-
भूखे मानव महनत करके,
रोटी घरमें लाते हैं।
देखो पापी लोग छीन के,
रोटी को ले जाते हैं।।
गंगा तारेगी कैसे अब,
बोल दुष्ट के बड़े खरे।
गंगा पावन—
बेबश की रोटी के भोजन,
हजम नहीं कर पाओगे।
चीख गरीब भरी व्यंजन में,
साहब कैसे खाओगे।।
मछली से तड़फेंगे साहब,
जो भोजन से पेट भरे।
गंगा पावन—–
लूट रहे गंगा की इज्जत,
कैसे गंगा तारेगी।
सूख रही धरनी से गंगा,
कैसे माता पालेगी।।
गंगा की तुम आस करो मत,
जिसकी धारा तेज सरे।
गंगा पावन—-
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश