कुंडलिया

🥀कुंडलिया🥀
विषय-
देश के चारों स्तंभों को समर्पित
कृषक-
1-
कृषक हिन्द की शान हैं,
हलधर पालन हार।
भूलो इनको आप मत,
जन जन के आधार।।
जन जन के आधार,
सभी का पेट पालते।
करते हैं उपकार,
नहीं ये हार मानते।।
प्रभुपग हरते भार,
हिन्द की जान हैं कृषक।
सब मिल करना मान,
देश की शान हैं कृषक।।
शिक्षक-
2-
शिक्षक के दर जाइए,
ज्ञान दीप गुरु जान।
पद पंकज रज लाइए,
पद रज मेरी जान।।
पद रज मेरी जान,
शीश पर मलते आके।
गुरुवर जगकी शान,
बैठ दर जाते जाके।।
प्रभुपग सुख की खान,
सदा ही रहते रक्षक।
गुरुवर सच के भान,
ज्ञान के सागर शिक्षक।।
सेना-
3-
सेना से ही चैन है,
करते हैं गुण गान।
कटती सुखसे रैन है,
करते हैं सुख पान।।
करते हैं सुख पान,
आज मन यादें आतीं।
हरते हैं दुख आन,
जान रण इनकीं जातीं।।
प्रभुपग रखते मान,
हिन्द की प्यारी सेना।
देख करे तन दान,
देश की न्यारी सेना।।
4-
नेता-
नेता मेरे देश के,
करते सुंदर काम।
आगे बढ़ता हिन्द है,
सब जग में है नाम।।
सब जग में है नाम,
साथ देते आफत में।
इनसे सुख की शाम,
आप रहते भारत में।।
प्रभु पग हैं सुखधाम,
ज्ञान मैं सच्चा देता।
मुख से बोले राम,
हिन्द का अच्छा नेता।।
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🥀प्रभु पग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश

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