प्रार्थना माँ की
🥀मनहरण घनाक्षरी🥀
विषय-
(प्रार्थना माँ की)
1-
स्वर में समाने वालीं,सुख बरसाने वालीं,
उर हरसाने वाली,हंस पै बिराजतीं।
तन में समाने वालीं,दिल में दिखाने वालीं,
सबको लुभाने वालीं,भक्त को निहारतीं।।
हमें जिनकी आस हैं,निरख आस पास हैं,
जिनके हम दास हैं,भव से निकारतीं।
जग जननी गीत हैं,जग की यह रीत हैं,
उर में अति प्रीत हैं,वेद मुख उचारतीं।।
2-
भरी मन उमंग है,तभी मन मतंग है,
गगन में पतंग है,ॐ क्लीं मुख बोलना।
स्वर सलिला आप है,गुण सरिता आप है,
जल बहता आप है,ॐ ह्रीं तुम डोलना।।
श्वेत तन बसन हैं,माँ अगन पवन हैं,
तुमसें ही लगन हैं,ॐ क्रीं सुत पालना।
छल छंद दूर कर,दिल ज्ञान धूर भर,
अभिमान चूर कर,गुरु वर जागना।।
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🥀प्रभुपग धूल🥀
लक्ष्मी कान्त सोनी
महोबा
उत्तर प्रदेश